करौली का एक प्रमुख देव स्थान
करौली जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर और कैलादेवी भवन से 20 किमी दूर चंबल के पास करणपुर गांव में स्थित यह मंदिर करौली के प्रमुख देवस्थानो में से एक है ।करणपुर का इतिहास कुछ 300 साल पुराना है ।
रियासत काल में यहां के ठाकुर करण सिंह जी के द्वारा यह गांव बसाया गया था साथ ही उन्होंने करणपुर की पहाड़ी पर एक दुर्ग का भी निर्माण शुरू किया था । जिसके अवशेष आज भी देखने को मिलते है ।
जिसके बाद इस दुर्ग को लेकर उनके बेटों में आपसी संघर्ष हुआ जिसमें दोनों बेटे मारे गए थे । उनके बड़े बेटे ठाकुर त्रिलोक सिंह जी आज ठाकुर बाबा के रूप में पूजे जाते है । जिसके कारण किले का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका ।


करणपुर में स्थित गुमानो माता जी का मंदिर भी लगभग 300 साल पुराना ही है । बड़ी देवी बीजासन माता को रामजीलाल व चिरंजी लाल गोठिया के पूर्वज 300 साल पहले इंद्रगढ़ से यहां लाए थे।और उनकी स्थापना यहां की थी ।


गुमानो माता का जन्म जादौन वंश में हुआ था और उनका विवाह रियासत काल में कोटा बूंदी में राजपूत घराने के हाड़ा गोत्र में कर दिया था। गुमाणो देवी (हाडारानी) एक बार करणपुर वाली बीजासन माता के दर्शन करने आई थीं। उसी दौरान उसने माता के सामने दम तोड़ दिया और वह बीजासन माता के सामने प्रकट हो गई तभी से छोटी बहिन गुमाणो देवी का यहां एक मंदिर बना दिया गया। दोनों देवियों के मंदिर आमने-सामने हैं।
जिसमें करणपुर वाली गुमाणो देवी को चुम्बकीय शक्ति के नाम से भी जाना जाता है।


वर्तमान मंदिर का निर्माण माता जी के भक्तों द्वारा समय समय पर किया गया है । जिसमें मंदिर के मुख्य गुंबद का निर्माण उंतगिरी के ठाकुर साहब गजराज पाल जी के द्वारा सन् 1940 में करवाया गया था । और गुमानों मां को अपने परिवार की आराध्य और कुलदेवी का दर्जा दिया ।
कहा जाता है कि ठाकुर साहब जब शिकार पर गए थे तब उन्हें वहां एक बालिका के दर्शन हुए जिसके पीछे जाते हुए वह इस मंदिर प्रांगण में पहुंचे थे जिसके बाद उन्होंने इस चमत्कार को देखते हुए गुमानो मां को अपनी कुलदेवी बना कर मंदिर के प्रांगण का निर्माण करवाया


:- Team Karaulians