करौली शहर के पश्चिम द्वार वजीरपुर गेट एवं सायनाथ खिडकियां के मध्य आज से लगभग 120 वर्ष पूर्व बनाई गई एक सूफी संत की दरगाह उत्कृष्ट शिल्प का नमूना है।
करौली शहर के पश्चिम द्वार वजीरपुर गेट एवं सायनाथ खिडकियां के मध्य आज से लगभग 120 वर्ष पूर्व बनाई गई एक सूफी संत की दरगाह उत्कृष्ट शिल्प का नमूना है। इसकी खासियत यह है कि इसमें दरवाजे भी पत्थर के बनाये हुए है। पत्थर पर की गई नक्कासी बरबस ही दर्शकोको का मन मोह लेती है।


कबीर शाह की दरगाह पत्थर की बनी हुई है और इसके दरवाजे पत्थर के बने हुए है ,और ऐसी संसार में कही भी नहीं है | इसका निर्माण 18-19 वी शताब्दी में हुआ ,इसमें चार दरवाजे पत्थर के बने हुए है और दरवाजे पर नक्काशी हो रही है जिसके कारण लोगो को बहुत पसंद आती है , और इसमें दरगाह के उपर पर सात धातुओ का गुम्बद बना हुआ है |




इस दरगाह को बनवाने के लिए जयपुर से पत्थर मंगवाये थे और करौली के ही कारीगरो ने ही इसे बनाया था , इसमें विभिन्न प्रकार की कला आकृति बनी हुई है | इसमें बहुत सी कला आकृति की खिड़किया बनी हुई है और साथ में उनके शिष्य की भी कब्र बनी हुई है कुछ लोग बताते है की कबीर शाह फ़क़ीर थे और वे लोगो को अल्लाह के बारे में बताते थे |कबीर शाह की मृतु हुई तब उनकी कब्र को उसमे ही दफना दिया |